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समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग -5)


रॉन  की बात का जवाब देने के बजाय नायर कपड़ा हटाने की कोशिश मे जुट गया... उसके आंखों के सामने पूरा अंधेरा था... इसी दौरान, छटपटाते हुए.. कपड़ा हटाने की कोशिश में नायर, जहाज के एकदम किनारे पहुंच गया.. और एकाएक जहाज के नीचे समुंदर में जा गिरा... रॉन,  नायर को वहीं किनारे पर खड़े -खड़े नीचे गिरते हुए देखता रहा.


" भाग ले बेटा रॉन , यदि किसी को पता चल गया तो खैर नहीं... चल चुप चाप दो-तीन बोतल चढ़ा कर सो जा..."

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" ये तो जीवित मालूम पड़ रहा है, सरदार ....?"  एक आईलैंड में रहने वाले लोगों ने समुद्री तूफान मे बहकर  आए हुए एक शख्स को समुद्री किनारे पर देख आपस में एक दूसरे से अपनी  भाषा मे पूछने लगे...

उस आइलैंड के जो लोग इस वक़्त समुद्री किनारे पर मौजूद थे वो अचंभित होकर तूफ़ान मे बह कर आए हुए शख्स को बीच -बीच मे अपने हाथो मे लिए हुए हथियार से कोचकते और फिर तुरंत पीछे हट जाते... किनारे पर पडे व्यक्ति के शरीर मे कोई हरकत ना होती, तो वो लोग फिर से ऐसा करते...

" लगता है मर गया है , इसके पहनावे से तो यह किसी जहाज का कप्तान लगता है... " वहां मौजूद आईलैंड के निवासियों में से एक बोला.. तभी किनारे पर पड़ा हुआ वह आदमी जिसे सब मरा  हुआ समझ रहे थे, वह आँख बंद किये हुए ही अचानक  खासने  लगा....

" अरे,  यह तो जिंदा है.."उसे ख़ासता देख, वहां मौजूद सभी लोग आपस में खुसर -फुसर  करने लगे..

"ओह्ह्ह... हाय गाइस... आई एम कैप्टन आदित्य.. तुम लोगों में से किसी ने मेरा कुछ  चुराया तो नही...दो -दो हज़ार के नोट  थे मेरी जेब मे...? बुरा मत मानना मेरी बात का पर... तुम सब शक्ल से ही  चोट्टे मालूम पड़ते हो " किनारे पर नीचे पड़े आदित्य ने अपनी आँख खोलकर वहा अपने आस -पास देखते हुए उन लोगो से कहा


आदित्य की भाषा समझना उनके लिए कठिन था... इसलिए कैप्टन आदित्य के इस प्रश्न का कोई उत्तर देने की बजाय वो एक -दूसरे का मुँह ताकने लगे... आदित्य कुछ देर आँखे खोले वही पडे -पडे उन लोगो को देखता रहा और फिर आईलैंड के लोगों की तरफ हाथ बढ़ाया.. ताकि वह उसे पकड़ कर उठने में उसकी मदद करें. लेकिन आईलैंड के लोग आदित्य के हाथ बढ़ाते ही तुरंत दो कदम पीछे हट गऐ और अपने -अपने हथियार को आदित्य पर तान दिया...


"लगता है यह साले सब के सब जंगली है ... हिंदी नहीं जानते. कोई बात नहीं, अपुन गूंगो के माफिक़ इशारे में बात करेगा..." आदित्य ने मन में सोचा और एक बार फिर अपना हाथ उन जंगलियों की तरफ बढ़ाया ताकि वो उसे उठने मे मदद करें... लेकिन अबकी बार उस आइलैंड के निवासी पहले से भी ज्यादा पीछे हट गये....


"अरे तुम सबकी फट क्यों रही है... मैं भी तुम्हारी तरह एक  इंसान हूं'


आदित्य की भाषा उन लोगों के लिए बिल्कुल समझ से परे थी. ऊपर से आदित्य का रवैया... वह लोग हुआ-हुआ करते हुए एक दूसरे से अपनी भाषा में  बात करने लगे...

" सालों, तुमको हिंदी भी समझ नहीं आती... शुद्ध जंगली हो का बे.."


जवाब मे आदित्य को केवल उन लोगों के द्वारा हुआ-हुआ सुनने को मिला, जो वो एक दूसरे के साथ कर रहे थे...

" कहां फस गया यार, एक तो वह पिछवाड़े से आग फेकने वाले पंछियो ने  पहले ही मार रखी है, ऊपर से यह हुआ-हुआ,  इन लोगों को क्या हुआ... "आदित्य अपना सर पकड़ कर बैठते हुए बड़बड़ाया  और वहां मौजूद लोगों को आपस मे हुआ -हुआ करते हुए देखता रहा...

वहां मौजूद आइलैंड के सभी लोगों मे ... चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी के कान और नाक में छेद थे और लोहे के आभूषड़ो से सुसज्जित  थे. कुछ लोगो ने लकड़ियों के आभूषण भी धारण किया हुआ था... वो सभी आदित्य की तरफ घूर कर देख रहे थे.  आदित्य उन जंगलियों को अपनी तरफ घूरता  देख सर नीचे कर लिया...


"यह जंगली कही मुझे कच्चा खाने का विचार तो नहीं कर रहे है...? शकल से ही नरभक्षी मालूम पड़ते है... हे! समुंदर की देवी, प्लीज मेरी मदद करिये.. आइंदा कभी शराब के नशे मे आपको सोच कर गंदे -गंदे खयाल मन मे नहीं लाऊंगा...."
"हिंदुस्तानी हो क्या..? "इतने में उन लोगों के बीच में से ही कोई बोला, जो अभी-अभी वहां आया था.


एक पल के लिए आदित्य को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ कि कोई उससे हिंदी में बात कर रहा है... उसने तो अपने शरीर के मांस को इन जंगलीओं के मुंह में कच्चा चबाने की भी कल्पना कर ली थी..  पर मानो समुन्दर की देवी आज उसपर मेहरबान थी. वरना इन जंगलियों के बीच मे से वो शख्स अचानक कैसे वहा आ धमकता...? आदित्य ने ऊपर देखा.. लगभग उसी के उम्र  का एक नौजवान उसकी तरफ देख रहा था.

" क्या तुम्हें हिंदी आती है... "आदित्य ने उस नौजवान से पूछा

" हां, मैं हिंदी समझ सकता हूं"

"गुड , मुझे यहां से बाहर निकलने का रास्ता बताओ..."

"थोड़ी देर आराम कर लो.. फिर इस बारे में बात करेंगे"
" इन लोगो के बीच आराम...? जहा हर पल ये नरभक्षी मुझे सिर्फ और सिर्फ मांस की तरह देख रहे है... बिल्कुल नहीं.. मुझे जल्द से जल्द यहां से बाहर निकलना है..."

"ठीक है, रुको मैं इंतजाम.. देखता हूं" इतना कहकर उस नौजवान ने आइलैंड के लोगो से उनकी भाषा मे कुछ कहा...
उस हिंदी में बात करने वाले नौजवान के आने के बाद, वहां मौजूद जंगली लोग धीरे-धीरे वहां से जाने लगे थे और कुछ देर बाद वहां किनारे पर सिर्फ आदित्य और वह नौजवान ही थे.


" अभी समुंदर को तैर कर पार करना पड़ेगा या फिर कोई इंतजाम किया है... "आदित्य ने कुछ देर बीत जाने पर फिर से उस नौजवान से पूछा

" मैंने अपने लोगों से बात की है.. वह देखो पीछे.."

आदित्य पीछे मुड़ा, उस आइलैंड के जंगली लोगो मे से दो लोग अपने कांधे पर एक छोटी सी नाव लेकर आ रहे थे... जिनसे थोड़ी देर पहले आदित्य भयभीत हो उठा था.. आइलैंड के उस नौजवान ने आदित्य को एक पतवार की तरफ इशारा किया और इशारा पाते ही आदित्य ने वह पतवार उठा लिया. जिसके थोड़ी देर बाद दोनों नाव में बैठे और पतवार को समुन्दर की पानी मे लहराते हुए धीरे धीरे उस आइलैंड से दूर होने लगे....


"अच्छा एक बात बताओ, हम लोग हैं कहां.. मतलब यह जगह कौन सी है..?"जब आइलैंड उनकी आँखों से ओझल हो गया तो आदित्य ने नाव  मैं बैठे उस नौजवान से पूछा

" पता नहीं...."

" यहां रहता है और तुझे पता नहीं..? "आदित्य को मन ही मन किसी गड़बड़ी की आशंका हुई

"हमें कभी जरूरत ही नहीं पड़ी यह जानने की..."

"कुछ भी...? वैसे तेरा नाम क्या है "

"राज.."

"क्या..? राज..? "आदित्य चौका... उसे लगा था कि इसका नाम किसी जंगली की तरह होगा, पर  ऐसा नहीं था... राज,  आदित्य के मन की उलझन को समझ गया और बोला..

"मैं छोटा था, तब हमारे घर से मुझे और मेरी मां को कुछ अजीब  लोगों ने जबरदस्ती उठा लिया था और फिर जब मेरी आंख खुली तो मैंने खुद को एक समंदर के किनारे पाया... लेकिन उसी समय समंदर ने मुझे और मेरी मां को निगल लिया... फिर पता नहीं क्या हुआ.. मैं समंदर में बहते हुए यहां आ गया..इन  लोगों ने ही मुझे बचाया और पाल पोस कर बड़ा किया..., पर फिर जब मै किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखा तो आइलैंड से बाहर आना जाना शरू हो गया... बस वही से मैने तुम्हारी भाषा सीखी... और ये नाम मुझे मेरी माँ ने दिया था... "


"अब समझा तुझे हिंदी कैसे आती है... तू इन जंगलियों  में से नहीं है.. है ना.. सच कहा ना मैंने..."

" अब क्या समंदर में कूद जाऊ, तब ही यकीन करोगे...?
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"रॉन , तुमने कैप्टन नायर को कहीं देखा..?... " जहाज के डेक पर खड़ा रॉन जिस दिशा मे जहाज बढ़ रहा था, उधर अपनी नजरें गड़ाए दूर तक देखने की कोशिश कर रहा था... जितनी बडी लहरे, बेलाडोना से टकरा रही थी उससे भी कही ज्यादा बडी लहरे रॉन के मन मे उसके विचारों की टकरा रही थी... की तभी रिया ने रॉन से नायर के बारे मे पूछा...


"मुझे क्या मालूम.. होगा कहीं"

" पूरे जहाज में ढूंढ लिया, जहाज में काम करने वाले आदमियों से भी ढूंढवाया... पर कैप्टन का कुछ पता नहीं...."

"यह तो बहुत बुरा हुआ.. पर कप्तान नायर आखिर गया कहा... कही मुझसे डरकर भाग तो नहीं गया रात मे..? मुझे तो ऐसा ही लग रहा है... पर तुम हार मत मानना जानेमन.. तुम ढूंढो और मुझे खबर करना, यदि मिल जाए तो.. अभी मुझे कुछ काम करना है"


रॉन  वहां से दूर आ गया और अपने जेब से नक्शा निकाल उस नक्शे में कुछ देखने लगा..

" अच्छा तो... समुंदर के बीच इस रेगिस्तान में सम्राट मार्टिन का वो जादूई नक्शा दफन है... लेकिन उस रेगिस्तान तक पहुंचा कैसे जाए...? बिना उस नक्शे के मैं समुंदर का रास्ता भी नहीं पहचान पाऊंगा और ना ही मुर्दो के जहाज पर कब्ज़ा कर पाउँगा... बड़ी दुविधा है. कैसे जाऊं, कैसे वह नक्शा, वहां से निकालू...."

"रॉन , तुमने कैप्टन सर को कहीं देखा.... "नायर का पता ढूंढते ढूंढते अब सेठ ने रॉन  को टोका

" अब तू कौन है बे.. और यह सब उस कप्तान को क्यों ढूंढ रहे हैं..? जब की वो डर कर रात मे भाग गया... "

" पहली बात तो ये की.. कप्तान के बारे मे कायदे से बात कर. और दूसरी बात ये की बिना कैप्टन के इस जहाज को आगे कौन ले जाएगा.. तू...? बस इसीलिए सब कप्तान को ढूंढ रहे हैं "

" अगर ऐसा है तो... मैं तैयार हूं... बना दो मुझे कप्तान. सच कहता हूं.. एक -एक  को जिंदा वापस लाऊंगा"

" तू और कप्तान... हा हा हा हा... शक्ल है तेरी कैप्टन बनने की..."

"शक्ल पर जाएं तो फिर  तो तु इस जहाज में भी शौचालय साफ करने के लायक़ भी नहीं.... पर फिर भी तू इस जहाज मे है, इतनी बेकार शक्ल होने के बावजूद. इसलिए चल फुट यहाँ से..."

" अभी मुझे कप्तान को ढूंढना है, इसीलिए जा रहा हूं.. अगली बार तुझे जवाब जरूर दूंगा."

" मुझे इंतजार रहेगा.. तेरे उस जवाब का.. बदसूरत शकल वाले... "

जहाज में मौजूद सभी लोग, नायर को कई बार पूरे जहाज में ढूंढ चुके थे, लेकिन नायर का कहीं कोई अता पता नहीं चला... सब हैरान थे कि रातों-रात आखिर नायर गायब कहां हो गया. रिया भी अपने कमरे में नायर को लेकर परेशान थी, क्योंकि जहाज को बहुत देर तक बिना कप्तान के छोड़ा नहीं जा सकता था.... ऊपर से रिया अपने जिस मिशन पर निकली थी, उस मिशन मे नायर का बहुत बड़ा रोल था... लेकिन अब जब नायर ही गायब था तो रिया का यूँ परेशान होना लाजिमी था...


"क्या सोच रही हो जानेमन..."रिया के कमरे मे बिना पूछे सीधे अंदर आते हुए रॉन ने उससे पूछा

" रॉन , तुम यहां..?  मेरे रूम में क्या कर रहे हो...? वो भी मुझसे बिना पूछे... "

" कुछ नहीं.. बस ऐसे ही... मन नहीं लग रहा था तो.. सोचा.. कोई तड़कती-फड़कती चीज ही देख लू और फिर तुम्हारा ध्यान आया"

" बकवास नहीं, रॉन... मै इस समय बहुत परेशान हूँ... पता नहीं नायर कहां गायब हो गया..."

" तुम लोग उसकी इतनी फिक्र क्यों कर रहे हो...? डर के भाग गया होगा. अभी भी वक्त है, मुझे बना दो कप्तान, फिर देखो मेरा प्लान.... इस जहाज को ब्रेक मार के, समुंदर में जहाज को ऐसे ड्रिफ्ट कराऊंगा, की समुंदर की सारी मछलियां पेला जाएंगी...."

" 1 मिनट... रॉन  कहीं.... तुमने.... तो.... कुछ नहीं किया..."
"क्या ...?? मै.... मै...? तौबा -तौबा.. कैसी बात कर रही हो...  अपने दिल से पूछो, तुम्हे जवाब मिल जायेगा और  भला मै क्या कर सकता हूं.. मै तो मामूली सा सिर्फ एक जहाजी हूँ..."रिया की आँखों मे आँखे डालकर देखकर  रॉन उदास होते हुए बोला...

"सॉरी... रॉन.. मै भी क्या बोल दी.."


"कोई बात नहीं... हम दोनों तो दो जान एक जिस्म की तरह है.. मेरा मतलब दो जिस्म, एक जान की तरह..."कहते हुए रॉन ने रिया को आँख मार दी...

" तुम मुझ पर चांस मारना बंद करो.. मैं तुम्हें कभी नहीं मिलने वाली."

" सब शुरू में यही बोलते हैं.. वैसे मैंने तुमसे सुंदर, सुंदरी आज तक नहीं देखी पर वो छोड़ो, मुझे तुमसे एक काम की बात करनी है.."

"काम की बात..?"

" तुम्हारा जहाज सही दिशा में जा रहा है क्या..?"

" इसमें कोई शक नहीं रॉन .. सब ठीक चल रहा है, अभी तक तो फिलहाल.. और अब तुम जाओ यहां से.... नायर की वजह से आलरेडी मै बहुत टेंशन मे हूँ... "

रॉन अपना छोटा सा मुंह लेकर वहां से जाने लगा, फिर अचानक जैसे उसे कुछ याद आया... वह पीछे पलटा और रिया से बोला...

" तुमने आसमान में सैर करने वाले जानवरों के बारे में कुछ सोचा है... कि यदि उन्होंने हमला कर दिया तो क्या करोगी.."

" आसमान में सैर  करने वाले जानवर ? मतलब...?"

" मतलब................. ड्रैगनस ... "






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7 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 08:18 AM

Good

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Khushi jha

27-Oct-2021 06:34 AM

बढिया

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Fiza Tanvi

04-Oct-2021 11:46 AM

Good

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